आज के दिन याद: पर्दे की ‘चांदनी’, असल ज़िंदगी की रहस्यमयी रानी – श्रीदेवी
13 अगस्त — भारतीय सिनेमा के इतिहास में यह तारीख़ एक खास जगह रखती है। यह वह दिन है जब दुनिया को एक ऐसी शख्सियत मिली जिसने फिल्मों को नए आयाम दिए, स्क्रीन पर अपने हाव-भाव और अदाओं से जादू बिखेरा, और करोड़ों दर्शकों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ी।
वो नाम है श्रीदेवी — भारत की पहली फीमेल सुपरस्टार, जिन्होंने न सिर्फ बॉलीवुड, बल्कि तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ सिनेमा में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
🌸 शुरुआत और स्टारडम की नीव:
श्रीदेवी का जन्म 13 अगस्त 1963 को तमिलनाडु के मीनामपट्टी गाँव में हुआ था। उनका असली नाम श्री अम्मा यंगर अय्यपन था।
सिर्फ 4 साल की उम्र में उन्होंने कैमरे का सामना किया और कंधन करुणई (1967) नामक तमिल फ़िल्म से अपने अभिनय सफर की शुरुआत की।
उन दिनों किसी को अंदाजा भी नहीं था कि यह नन्हीं बच्ची एक दिन भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी हस्तियों में गिनी जाएगी।
बचपन से ही श्रीदेवी को अपनी माँ राजेश्वरी और बहन श्रीलता का साथ मिला। 1972 से 1994 के बीच शूटिंग के दौरान वे हमेशा इनमें से किसी एक के साथ ही सेट पर जाती थीं। यह पारिवारिक बंधन उनके करियर में सुरक्षा और सुकून का बड़ा आधा
र था।
फिल्मी सफ़र – एक पैन-इंडियन स्टार की कहानी:
श्रीदेवी का करियर सिर्फ बॉलीवुड तक सीमित नहीं था। उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया, जिनमें तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ और हिंदी भाषा की फिल्में शामिल थीं।
बॉलीवुड में चमक
हिंदी सिनेमा में उनका पहला बड़ा ब्रेक सोलहवां सावन (1979) से हुआ, लेकिन पहचान मिली हिम्मतवाला (1983) से। इसके बाद उन्होंने मवाली, तोहफा, नगीना, मिस्टर इंडिया, चांदनी, लम्हे, चालबाज़, जुदाई जैसी हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी।
मिस्टर इंडिया (1987) में उनकी कॉमिक टाइमिंग और "हवा हवाई" गीत आज भी आइकॉनिक है।
चालबाज़ (1989) में डबल रोल निभाकर उन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा साबित की।
लम्हे (1991) में उन्होंने ग्लैमरस और भावनात्मक दोनों तरह के रोल में कमाल किया।
साउथ इंडस्ट्री में दबदबा:
श्रीदेवी ने 16 வயதினிலே (16 Vayathinile), मेहरूम, जगदेक वीरुडु अतिलोका सुंदरी, क्शण क्षणम जैसी फिल्मों से साउथ में भी अमर लोकप्रियता हासिल की।
कमबैक का जादू
लंबे ब्रेक के बाद 2012 में उन्होंने इंग्लिश विंग्लिश से शानदार वापसी की। एक साधारण गृहिणी की अंग्रेजी सीखने की कहानी में उनका अभिनय दिल को छू लेने वाला था। 2017 में आई मॉम ने उनके करियर का आखिरी सुनहरा अध्याय लिखा, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।
🏆 पुरस्कार और सम्मान
श्रीदेवी के नाम कई प्रतिष्ठित पुरस्कार दर्ज हैं:
पद्मश्री (2013) – भारत सरकार का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड – मॉम (2017) में बेस्ट एक्ट्रेस।
6 फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड्स (हिंदी और साउथ फिल्मों के लिए)।
तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश के राज्य स्तरीय पुरस्कार।
उनका करियर यह साबित करता है कि असली स्टारडम भाषा और सीमा से परे होता है।
❤️ पर्सनल लाइफ़ – सफलता के पीछे की सच्चाई
श्रीदेवी की निजी ज़िंदगी हमेशा चर्चा में रही, लेकिन उन्होंने इसे मीडिया से दूर रखा।
परिवार का साथ: 1972–1994 के बीच मां या बहन हमेशा शूटिंग पर साथ रहती थीं।
पॉलिटिकल कनेक्शन: 1989 में उन्होंने पिता के लिए चुनाव प्रचार किया, लेकिन वे चुनाव हार गए।
दुखद पल: 1990 में पिता का हार्ट अटैक से निधन; 1996 में मां का निधन ब्रेन सर्जरी की गलती के कारण हुआ — यह मेडिकल एरर अमेरिका में बड़ी खबर बनी।
शादी: 1996 में प्रोड्यूसर बोनी कपूर से शादी। उनकी दो बेटियां — जाह्नवी कपूर (1997) और खुशी कपूर (2000), जो आज फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं।
स्वभाव: पर्दे पर जोश और ऊर्जा से भरी दिखने वाली श्रीदेवी असल में बेहद शर्मीली, शांत और भीड़ से दूर रहने वाली इंसान थीं।
प्रेम कहानी: बोनी कपूर के पहले प्रपोज़ल के बाद उन्होंने 6 महीने तक बात नहीं की, लेकिन बाद में मान गईं और दोनों ने शादी की।
🕊 आख़िरी अलविदा – एक युग का अंत
24 फरवरी 2018 को दुबई, UAE में श्रीदेवी का अचानक निधन हो गया। आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार उनकी मौत होटल के बाथरूम में दुर्घटनावश डूबने से हुई।
देश के नेताओं का शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: “श्रीदेवी जी के असमय निधन से दुखी हूँ… मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं।”
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद: “उन्होंने लाखों प्रशंसकों का दिल तोड़ दिया। उनकी अदाकारी हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।”
जन सैलाब
मुंबई में लोखंडवाला के सेलिब्रेशन स्पोर्ट्स क्लब में अंतिम दर्शन के लिए फिल्म इंडस्ट्री और उनके चाहने वालों का सैलाब उमड़ पड़ा।
अंतिम यात्रा में 7,000 से अधिक लोग शामिल हुए, और भीड़ संभालने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
यह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के गैर-राजनीतिक सितारों में चौथे नंबर की सबसे बड़ी अंतिम यात्रा थी — किशोर कुमार, मोहम्मद रफ़ी और राजेश खन्ना के बाद।
🌟 विरासत – जो हमेशा ज़िंदा रहेगी
श्रीदेवी का सफर यह बताता है कि मेहनत, प्रतिभा और जुनून के साथ एक महिला भी इंडस्ट्री के सबसे बड़े मुकाम पर पहुंच सकती है।
उनके डांस मूव्स, भावपूर्ण आंखें और बेमिसाल अभिनय उन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनाते हैं।
> “लेजेंड्स कभी नहीं मरते, वो हमेशा हमारे दिलों में ज़िंदा रहते हैं।”
आज, उनके जन्मदिन पर, हम उन्हें सिर्फ एक अभिनेत्री के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसी शख्सियत के रूप में याद कर रहे हैं, जिसने लाखों लोगों के दिलों में अपनी जगह हमेशा के लिए बना ली।
श्रीदेवी — आप हमेशा हमारी चांदनी रहेंगी। 🌹✨
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